साण्डेराव (पाली) साण्डेराव कस्बे सहित आस-पास ग्रामीण क्षेत्र में गुरुवार को भाई दूज का त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। दीप उत्सव के पांच दिवसीय त्योहारों में यह त्यौहार भी विशेष महत्व रखता है।अंतिम त्यौहार लाभ पंचमी के दिन होता है। आज भाई दूज के इस अवसर पर बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की। गुरूवार सुबह से ही पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल देखने को मिला। जिन बहनों के भाई किसी कारणवश उनके पास नहीं पहुंच सके, वे स्वयं भाइयों के घर जाकर रोचना टीका लगाकर और मिठाई खिलाकर यह पर्व मनाया। भाइयों ने भी अपनी बहनों को भेंट स्वरूप उपहार दिए।महिलाओं ने सुबह भाई दूज की कथा सुनी और व्रत रखा।यह व्रत तब तक रखा गया जब तक भाई को तिलक नहीं लगा लिया गया। भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा भगवान सूर्य देव की पत्नी छाया और उनके पुत्र यमराज व पुत्री यमुना से संबंधित है। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थीं और लगातार उन्हें अपने इष्ट मित्रों सहित घर आकर भोजन करने का निमंत्रण देती थीं। अपने कार्यों में व्यस्त रहने के कारण यमराज अपनी बहन के निमंत्रण को टालते रहे। एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन यमुना ने यमराज को भोजन का निमंत्रण देकर उन्हें वचनबद्ध कर दिया। यमराज ने सोचा कि वे तो सबके प्राण हरने वाले हैं। इसलिए उन्हें कोई अपने घर बुलाना नहीं चाहता, लेकिन बहन प्यार से बुला रही है, तो उसका पालन करना उनका धर्म है। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया था।







