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आस्था, परंपरा और संस्कृति का संगम बना साण्डेराव,मेवाड़ा समाज ने दिखाई एकता की मिसाल, श्रद्धा संग मनाई सहस्त्राबाहु जयंती

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सहस्त्रार्जुन की जयंती बनी समाज एकता का प्रतीक

साण्डेराव (पाली) उपखंड क्षेत्र के साण्डेराव कस्बे में अम्बिका मंदिर परिसर में आज़ बुधवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश शाह मेवाड़ा की मौजूदगी में श्री मेवाड़ा क्षत्रिय कलाल समाज के आराध्यदेव भगवान सहस्त्राबाहु अर्जुन की जयंति श्रद्धा व उमंग के साथ हर्षोल्लास पुर्वक मनाई गई। कार्यक्रम में दूर दराज से बड़ी संख्या में मेवाड़ा कलाल समाज के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस दौरान गोड़वाड़ क्षेत्र में जयंति पर समाज बंधुओ ने अपने-अपने घरो-प्रतिष्ठानो पर आराध्यदेव की विशेष पूजा-अर्चना के बाद व्रत-उपवास खोले। मेवाडा क्षत्रिय कलाल समाज के युवा युवतियों के साथ समाज बंधुओं की उपस्थिति में मुख्य समारोह प्रकाश शाह मेवाड़ा की अध्यक्षता एवं एडवोकेट कांतिलाल मेवाड़ा जंवाई बांध के विशेष अतिथि में साण्डेराव अम्बिका मंदिर परिसर में आज बुधवार सुबह 11 बजे आराध्यदेव की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित के शुरू हुआ समारोह। समारोह में समाजबंधुओ के साथ महिलाओं व युवा-युवतियों ने बडे ही उत्साह के साथ भाग लिया। समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश शाह मेवाड़ा ने कहा कि हर समाजबंधु को अपने आराध्यदेव की जयंति को श्रद्धा के साथ मनाते हुए दान-पुण्य करना चाहिए।

युवा मिडिया प्रभारी महावीर मेवाड़ा साण्डेराव ने आराध्यदेव की गाथा व इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि क्षत्रिय धर्म की रक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए समाजबंधुओ को उत्सव के रूप में यह जयंति मनानी चाहिए। विष्णु के चौबीसवें अवतार सहस्त्राबाहु अर्जुन है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी की जयंति पर हिन्दु धर्म संस्कृति के अनुसार हवन-पूजन व कथा श्रवण से हमें लाभ की प्राप्ति होती है। राष्ट्रीय प्रचारक नटवर मेवाड़ा ने कहा कि सहस्त्राबाहु अपने युग के एक मात्र राष्ट्र पुरूष एवं युग पुरूष ही नहीं बल्कि धर्मनिष्ठ व शौर्यवान थे उन्होने साक्षात भगवान के अवतार दत्रातेय को अपना गुरू माना और शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की थी। एडवोकेट कांतिलाल मेवाड़ा ने कहा कि इस प्रकार धार्मिक आयोजनो से समाज में आपसी मेल-मिलाप के साथ प्रेमभाव बढता है। आज के समय में इस प्रकार के आयोजन गांव-गांव व शहर-शहर मे होने चाहिए। मिडिया प्रभारी महावीर मेवाड़ा ने कहा कि अपने आराध्यदेव की निःस्वार्थ भाव से की गई पूजा-अर्चना कभी निष्फल नही होती है। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर दिया। समारोह के बाद सहस्त्राबाहु अर्जुन की तस्वीर को रथनुमा जीप में सजाकर गाजो-बाजों व ढोल नगाड़ों के साथ गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में युवा युवतियां नाचते गाते जैकारे लगाते हुए वहीं महिलाएं भजन कीर्तन करती हुई चल रही थी।

भजनों में गाई सहस्त्रार्जुन की महिमा

सहस्त्रार्जुन जयंती की पुर्व संध्या पर एक शाम श्री सहस्त्रार्जुन के नाम भजन संध्या का आयोजन हुआ जिसमें गोड़वाड के नामचीन भजन कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक कर्णप्रिय भजनों की प्रस्तुति देकर वातावरण को धर्ममय बना दिया। इस दौरान कलाकारों द्वारा भजनों में सहस्त्रार्जुन की महिमा गाकर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

Jawai News live
Author: Jawai News live

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