दुजाना (पाली) उपखंड क्षेत्र के दुजाणा गांव मे म.सा. चिदानंद सुरीश्वर महाराज ने श्रद्धालुओं को धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा कि धर्म करने से पाप का नाश होता है। व्यक्ति जितना धर्म के कार्य करता है उसके पाप खत्म होते जाते हैं। मेहनत की परिभाषा बताते हुए चिदानंद सुरीश्वर ने कहा कि मेहनत व पुरुषार्थ से दरिद्रता नहीं रहती। इसलिए व्यक्ति को अगर दरिद्रता दूर करनी है तो मेहनत करे। आलस्य करने वाला कभी सुखी नहीं रहता। आलस्य करने से दरिद्रता आती है इसलिए सदैव पुरुषार्थ करते रहें। महाराज ने यह विचार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दुजाणा मे आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के तहत श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। चिदानंद सुरीश्वर ने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है। जब तक जीवन में अज्ञानता है तब तक मनुष्य ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। व्यक्ति कर्म से महान बनता है जन्म से नहीं। इसलिए मनुष्य जन्म पाकर अच्छे कर्म करें तभी जीवन की महानता है। व्यक्ति गुणों से उत्तम बनता है, न कि ऊंचे या बडे़ आसन पर बैठकर। महल के शिखर पर बैठने से कभी कौआ गरूड़ नहीं बन जाता। गुणों से ही मानव की पहचान होती है और गुण ही व्यक्ति को उत्तम बनाते हैं। इसलिए श्रेष्ठ व सद्गुणों को जीवन में अपनाएं। इस दौरान राणावत चेरिटेबल ट्रस्ट के अरविंद राणावत, प्रधानाचार्य मुकेश शर्मा, ईश्वरसिंह, महेश हिंगड, दिनेश राणावत, कुसुम राणावत सहित ग्रामीणजन उपस्थित थे।







