साण्डेराव(पाली) श्राद्ध शब्द का अर्थ ही है श्रद्धा से किया गया कार्य। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारी पहचान,संस्कार और परंपराएं हमारे पितरों की ही देन हैं। उन्हें याद करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना ही श्राद्ध का वास्तविक उद्देश्य है। यह बात संत मनसुख हीरापुरी महाराज ने हरिओम आश्रम स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर रामनगर में चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम में भक्तजन को कही। संत ने कहा की भारतीय संस्कृति में श्राद्ध पक्ष केवल एक कर्मकांड नहीं,बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है।अफसोस की बात है कि आजकल बहुत से लोग इसे मात्र एक जिम्मेदारी मानकर निभाते हैं। पंडितजी को बुला लिया,भोजन बनवाया,दक्षिणा दे दी और समझ लिया कि कर्तव्य पूरा हो गया। लेकिन श्राद्ध का असली अर्थ इससे कहीं गहरा है।संत हिरापुरी महाराज ने कहा कि श्राद्ध शब्द का अर्थ ही है श्रद्धा से किया गया कार्य यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारी पहचान,संस्कार और परंपराएं हमारे पितरों की ही देन हैं। उन्हें याद करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना ही श्राद्ध का वास्तविक उद्देश्य है। दुर्भाग्यवश समाज में यह धारणा गहराई तक बैठ गई है कि श्राद्ध पक्ष अशुभ समय होता है। लोग मानते हैं कि इन दिनों विवाह,गृह प्रवेश या नई खरीददारी नहीं करनी चाहिए। पर सच्चाई यह है कि यह कोई अशुभ समय नहीं,बल्कि अपने पूर्वजों के स्मरण और आत्मचिंतन का अवसर है। इन 16 दिनों को इसलिए विशेष माना गया है ताकि परिवार अपनी ऊर्जा और समय किसी अन्य उत्सव में न लगाकर पितरों की याद में समर्पित कर सके। इस दौरान आस-पास ग्रामीण क्षेत्र से भक्तगण उपस्थित थे।







