सिरोही। आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के राजनीतिज्ञ सेवा प्रभाग द्वारा आनंद सरोवर में आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ सम्मेलन का समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सेवा को ही परम धर्म बताया गया है। जनता की सेवा का भाव रखकर राजनीति में आने से ही जनता का भला होगा। उन्होंने कहा कि हमें खुद के लिए शासक और जनता के लिए सेवक बनना चाहिए। लोकतंत्र के अंदर जनता ही सर्वोच्च रहती है। जनता की सेवा करने का भाव व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार करता है। राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि राजनेता के सेवक होने का भाव बहुत गहरा भाव है। इसे समझने पर हर जगह सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां भी व्यक्ति का सुकुन मिले वही परमात्मा का वास होता है। जीवन और विचार पानी की तरह हैं जिसे जैसा ढालना चाहो वैसा ढल जाता है।
जालोर सिरोही सांसद लुम्बाराम चौधरी ने कहा कि सम्मेलन में आदान प्रदान किए गए विचारों का प्रचार इस सम्मेलन को पूर्ण रूप से सार्थक करेगा।
पिंडवाडा-आबू विधायक समारोह गरासिया ने संस्थान में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की सराहना की।
कार्यक्रम को मध्यप्रदेश के सूचनेर विधायक भैरोंसिंह परिहार ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ के सेवा केंद्र पर गया तो वहां जो सीख मिली वह जीवनभर के लिए अनमोल धरोहर बन गई व यहां से अनमोल ज्ञान लेकर गया। मप्र के कोलारस से विधायक महेंद्र राम सिंह यादव ,दिल्ली बदरपुर के पूर्व विधायक नारायण दत्त शर्मा ने कहा कि राजनीति पर भी प्रकाश डाला एवं कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ से जीवन बदलना, मन शांत होना एवं तनाव मुक्ति हो जाते है। प्रभाग की उपाध्यक्ष राजयोगिनी बीके लक्ष्मी दीदी और गुरुग्राम ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशिका राजयोगिनी बीके आशा दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मप्र से पूर्व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त राजू पाठक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन दिल्ली की राजयोगिनी बीके सपना दीदी ने किया। बीके कृष्णा भाई और कुमारी खुशी विश्वकर्मा ने गीत प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता राजनीतिज्ञ सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय समन्वयक राजयोगिनी बीके उषा दीदी ने कहा कि जब हम अपनी सूक्ष्म और स्थूल इंद्रियों के शासक बन शासन करेंगे तो हमारा जीवन श्रेष्ठ और प्रभावशाली बनेगा। वहीं एक दिन पूर्व के सत्र में अलका लाम्बा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का पूरे देश ही नहीं विश्व में अकेला एकलौता कोई उदाहरण ब्रह्माकुमारी संस्था है। यहां पर सही मायने में महिला सशक्तिकरण सिर्फ नारे ही नहीं, बातें ही नहीं साक्षात् उदाहरण देख रही हूं। आज भी देश के कई राज्यों में बेटी को भ्रूण में ही मार डालते हैं। राजस्थान में एक समय सती प्रथा थी लेकिन लोगों ने संघर्ष किया। सोच बदली, समय बदला और आज वह प्रथा पूरी तरह से बंद है।







